पहले लगता था,एक ख़्वाब हो तुम,
अब ये लगता है,इक किताब हो तुम !
दिल की क्यारी मे,जिसकी खुशबू है,
मेरे दिल का,वही गुलाब हो तुम !
मेरी तनहाई में,जिधर देखो,
तुम ही तुम हो,हाँ बेहिसाब हो तुम !
मेरे दिल ने, जो कभी भेजा था,
शायद उस ख़त का,इक जवाब हो तुम!
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पहले लगता था,एक ख़्वाब हो तुम,
अब ये लगता है,इक किताब हो तुम !
दिल की क्यारी मे,जिसकी खुशबू है,
मेरे दिल का,वही गुलाब हो तुम !
मेरी तनहाई में,जिधर देखो,
तुम ही तुम हो,हाँ बेहिसाब हो तुम !
मेरे दिल ने, जो कभी भेजा था,
शायद उस ख़त का,इक जवाब हो तुम!
हेल्लो दोस्तो कैसे हो आप,
आशा करता हूं ठीक होंगे ।
दोस्तों मेर नाम राजन सोनकर है मुझे बचपन से ही शायरी लिखने का शौक था।हालांकि हम बहुत गरीब परिवार से है इसीलिये पढाई भी ज्यादा न कर सका ना ही शौक कमाने के लिये निकल पड़ा लॉक डाऊन मे काम भी छुट गया अब मैने इस ब्लाग पर शायरियाँ लिखता हूँ।।।
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